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Sunday, 21 September 2014

khat (खत)

देखा पहले भी पर जान न पाया, 
फिर जान के इकरार भी न कर पाया !

आज सोचता हूँ फिर से कोई खत लिखूं उसके नाम, 
पर मैं उससे दूर आ बैठा !!

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